ऊर्जा (शक्ति)  संसाधन भूगोल Class 10 Social Science Notes In Hindi

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ऊर्जा संसाधन :  शक्ति अर्थात ऊर्जा संसाधन विकास की कुंजी है |

मानव सदियों से अपने विभिन्न क्रियाकलाप हेतु ऊर्जा (Energy) के जैव एवं अजैव  रूपों का प्रयोग करते आ रहे हैं |

 कोयला , पेट्रोलियम , प्राकृतिक गैस , जल – विद्युत एवं आण्विक ऊर्जा स्रोतों को “वाणिज्यिक ऊर्जा स्रोत” कहा जाता है |

ऊर्जा संसाधन के प्रयोग : 

खाना पकाने में , रौशनी व ताप के लिए , गाड़ियों के संचालन या उद्योगों में मशीनों के संचालन में ऊर्जा की आवश्यकता होती है |

ऊर्जा का उत्पादन ईंधन खनिजों जैसे – कोयला , पेट्रोलियम , प्राकृतिक गैस , युरेनियम तथा विद्युत से किया जाता है |

ऊर्जा संसाधन के प्रकार :- ऊर्जा संसाधन को निम्नलिखित वर्गों  में बाँटा  गया है –

1. पारम्परिक ऊर्जा स्रोत :- कोयला , पेट्रोलियम , प्राकृतिक गैस तथा जल विद्युत् ये पारम्परिक ऊर्जा संसाधन हैं तथा ये समाप्य संसाधन हैं |

2. गैर – पाराम्परिक ऊर्जा स्रोत :- सौर ऊर्जा , पवन ऊर्जा , ज्वार ऊर्जा , परमाणु ऊर्जा ये गैर पारम्परिक ऊर्जा स्रोत हैं |

पारम्परिक ऊर्जा के स्रोत

कोयला (Coal) : –  कोयला ऊर्जा का महत्वपूर्ण स्रोत है |

भारत में कोयला बहुतायात में पाया जानेवाला जीवाश्म ईंधन है |

इसका उपोग उज उत्पादन तथा उद्योगों और घरेलु जरुरतों के लिए ऊर्जा की आपूर्ति के लिए किया जाता है |

भूगर्भिक दृष्टि से भारत के समस्त कोयला भंडार को दो मुख्य भागों में बाँटा गया है-

   1. गोंडवाना समूह   2. टर्शियरी समूह

  1. गोंडवाना समूह :- इस समूह में भारत के 96 प्रतिशत कोयले के भंडार हैं |

यंहां के कोयले का निर्माण लगभग 20 करोड़ वर्ष पूर्व हुआ है |

गोंडवाना कोयला क्षेत्र मुख्यतः चार नदी घाटियों में पाए जाते है –

(i) दामोदर घाटी

(ii) सोन घाटी

(iii) महानदी घाटी

(iv) वर्घा – गोदावरी घाटी

ऊर्जा (शक्ति)  संसाधन भूगोल Class 10 Social Science Notes In Hindi

गोंडवाना समूह का कोयला क्षेत्र :

(i) झारखण्ड :- यहाँ देश का 30 प्रतिशत से अधिक्कोयला का सुरक्षित भंडार है

कोयले क भंडार एवं उत्पादन में झारखण्ड का भारत में पहला स्थान है |

झारखण्ड के प्रमुख कोयला क्षेत्र :-  झरिया , बोकारो , गिरिडीह , कर्णपुरा , रामगढ़ तथा पश्चिम बंगाल का रानीगंज

(ii) छत्तीसगढ़ : –  कोयला उत्पादन में छत्तीसगढ़ का भारत में दूसरा स्थान है , जहाँ 16 % से अधिक उत्पादन होता है |

छत्तीसगढ़ का कोयला क्षेत्र :- चिरिमीरी, कुरसिया , विश्रामपुर , झिलमिली , सोनहाट , लखनपुर आदि |

(iii)  उड़ीसा :- उड़ीसा में देश का एक चौथाई कोयले का भंडार है |

(iv) महाराष्ट्र :- यहाँ देश का मात्र 3 प्रतिशत कोयला सुरक्षित है पर उत्पादन 9 पातिशत से अधिक है |

इस राज्य में अधिकतम कोयला चाँद – वर्घा , कांपटी तथा बंदेर से प्राप्त होती है

(v) मध्य – प्रदेश :- इस राज्य में देश का 7% कोयले का भंडार है |

इस राज्य के प्रमुख कोयला उत्पादक क्षेत्र :- सिंगरौली , सोहागपुर , जोहिल्ला , उमरिया , सतपुड़ा

(vi) पश्चिम बंगाल :- यह राज्य सुरक्षित भंडार की दृष्टि से देश का चौथा एवं उत्पादन में सातवाँ स्थान रखता है |

इस राज्य के प्रमुख कोयला उत्पादक क्षेत्र – रानीगंज , दार्जिलिंग

ऊर्जा (शक्ति)  संसाधन भूगोल

2. टर्शियरी समूह :- टर्शियरी युग में बना कोयला नया एवं घटिया किस्म का है , जो करीब 4-5 वर्ष पुराना है |

टर्शियरी समूह का कोयला क्षेत्र :

(i) असम – माइम , जयपुर , नजिरा आदि |

(ii) मेघालय दारगिरी . लेतरिंग्यु , माओलौंग और लंगारिन

(iii) अरुणाचल प्रदेश नामचिक , नामरूप

(iv) जम्मू और कश्मीर कालाकोट

कोयले का वर्गीकरण  :- कार्बन की मात्रा के आधार पर कोयले को चार वर्गों में रखा गया है –

(i) एंथ्रेसाइट (Anthracite) :- यह सर्वोच्च कोटि का कोयला है |

कार्बन की मात्र 90% से अधिक |

जलने पर यह धुआँ नहीं देता है तथा देर तक अत्यधिक उष्मा देता है |

इसे कोकिंग कोयला भी कहा जाता है |

यह धातु गलने में काम आता है |

(ii) बिटुमिनस (Bituminus) :- कार्बन की मात्रा 70 – 90 %

इसे परिष्कृत कर कोकिंग कोयला बनाया जाता है |

भारत का अधिकतर कोयला इसी श्रेणी का आता है |

(iii) लिग्नाइट (Lignite) :- यह निम्न कोटि का कोयला है |

कार्बन की मात्रा 30-70%

यह कम ऊष्मा तथा अधिक धुआँ देता है |

इसे भूरा कोयला भी कहा जाता है |

(iv) पीट (Peet) :- कार्बन की मात्र 30% से कम |

यह पूर्व के दलदली भागों में पाया जाता है |

  पेट्रोलियम (Petrolium) : –  पेट्रोलियम ऊर्जा के समस्त साधनों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण है | एवं व्यापक रूप से उपयोगी है |

  पेट्रोलियम अनेक उद्योगों का कच्चा माल भी है , इससे विभिन्न प्रकार की वस्तुएँ जैसे – गैसोलीन , डीजल ,किरासन तेल , स्नेहक , कीटनाशक दवाएं , दवाएं , पेट्रोल , साबुन क्रत्रिम रेशा , प्लास्टिक आदि बनाये जाते हैं |

भारत विश्व का मात्र 1% पेट्रोलियम उत्पादन करता है |

भारत में प्रथम बार 1866 में उपरी असम घाटी में तेल के कुएँ खोदे गए | 1890 में असम के डिगबोई क्षेत्र में तेल मिल गया था |

1959 में खम्भात के तेल क्षेत्र की खोज हुई |

1975 ई० में मुंबई हाई में तेल का पता चल गया |

भारत में मुख्यतः पाँच तेल उत्पादक क्षेत्र है –

(i) उत्तरी: – पूर्वी प्रदेश :–  इसके अंतर्गत उपरी असम घाटी , अरुणाचल प्रदेश , नागालैंड आदि |

(ii) गुजरात क्षेत्र :–  यह क्षेत्र खम्भात के बेसिन तथा गुजरात के मैदान में विस्तृत है |

(iii) मुंबई है क्षेत्र :–  यह क्षेत्र मुंबई तट से 176 km दूर उत्तर – पश्चिम दिशा में अरब सागर में स्थित है | यहाँ 1975 में तेल खोजने का कार्य शुरू हुआ |

(iv) पूर्वी तट प्रदेश :– यह कृष्ण – गोदावरी और कावेरी नदियों के बेसिन तथा मुहाने के समुद्री क्षेत्र में फैला हुआ है |

(v) बाड़मेड बेसिन :- इस बेसिन के मंगला तेल क्षेत्र से सितम्बर 2009 से उत्पादन शुरू हो गया है |

तेल परिष्करण : – कुओं से निकला गया कच्चा तेल अपरिष्कृत एवं अशुद्ध होता है अतः उपयोग से पूर्व    . उसे तेल शोधक कारखानों में परिष्कृत किया जाना आवश्यक होता है , उसके बाद ही डीजल , पेट्रोल ,         

  किरासन , स्नेहक पदार्थ तथा अन्य कई वस्तुएँ प्राप्त होती है |

1901 ई० में भारत का प्रथम तेल शोधक कारखाना असम के डिगबोई में स्थापित हुआ था |

1954 ई० में दूसरी तेल शोधक कारखाना मुंबई में स्थापित किया गया |

प्राकृतिक गैस : – प्राकृतिक गैस का उपयोग विभिन्न उद्योगों में मशीनों को चलने में , विद्युत् उत्पादन

    में , खाना पकाने में , तथा मोटर गाड़ियाँ चलाने में किया जाता है |

कार्बन डाइऑक्साइड के कम उत्सर्जन के कारण प्राकृतिक गैस को पर्यावरण अनुकूल मन जाता है |

कृष्ण –गोदावरी नदी के बेसिन में प्राकृतिक गैस के विशाल भंडार खोजे गए हैं | अंडमान – निकोबार द्वीप समूह भी महत्वपूर्ण क्षेत्र है जहाँ प्राकृतिक गैस के विशाल भंडार हैं |

विद्युत ऊर्जा :- विद्युत् ऊर्जा , ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण स्रोत है |

विद्युत मुख्यतः दो प्रकार से उत्पन्न की जाती है –

(i) जल विद्युत :- प्रवाही जल स्रोत से उत्पन्न ऊर्जा को जल विद्युत कहते हैं |

(ii) ताप विद्युत :- जब विद्युत के उत्पादन में कोयला ,पेट्रोलियम या प्राकृतिक गैस से ऊष्मा का उपयोग किया जाता है, तो उसे ताप विद्युत कहते हैं |

इसके अतिरिक्त विद्युत का उत्पादन आण्विक खनिजों के विखंडन से भी किया जाता है | जिसे परमाणु विद्युत कहा जाता है |

जल विद्युत :- जल विद्युत उत्पादन के लिए सदावाहिनी नदी में प्रचुर जल की राशि , नदी मार्ग में b

 ढाल , जल का तीव्र वेग |

जल एक अक्षयशील एवं नवीकरणीय संसाधन है , जिससे उत्पन्न ऊर्जा प्रदुषण मुक्त होती है |

जल विद्युत् को बहुउद्देशीय परियोजना भी कहा जाता है , क्योंकि इसके निर्माण से बिजली उत्पन्न के साथ – साथ सिंचाई , बाढ़ क रोकथाम करना , मछली पालन , यातायात की सुविधा बढ़ाना और पर्यटन उद्योग आदि अनेक लाभ एक साथ एक ही समय लिए जा सकते हैं |

भारत में सन 1897 में दार्जिलिंग में प्रथम विद्युत संयंत्र की स्थापन हुई थी |

भारत में अनेक बहुउद्देशीय परियोजनाएँ है जो विद्युत् उत्पन्न करती है –

(i) भाखड़ा नंगल परियोजना

(ii) कोशी परियोजना

(iii) रिहन्द परियोजना

(iv) दामोदर घाटी परियोजना

(v) हीराकुंड परियोजना

(vi) चम्बल घाटी परियोजना

(vii) तुंगभद्रा परियोजना

ताप विद्युत :- ताप विद्युत् का उत्पादन करने के लिए कोयला , पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस का

 उपयोग होता है |

ये जीवाश्म ईंधन भी कहे जाते है, तथा ये समाप्य संसाधन हैं |

राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (NTPC) द्वारा देश का अधिकतर ताप विद्युत उत्पादन का कार्य होता है |

परमाणु ऊर्जा या आण्विक ऊर्जा :- जब उच्च अनुभार वाले परमाणु विखंडित होते हैं , तो ऊर्जा का

 उत्सर्जन होता है |

इल्मेनाइट , बैनोडियम , एंटीमनी , ग्रेफाइट , युरेनियम , मोनाजाइट आदि आण्विक खनिज हैं |

मोनाजाइट :- केरल राज्य में प्रचुरता से ओय जाता है |

युरेनियम :- परमाणु ऊर्जा का कच्चा माल है | जिसका विशाल भंडार झारखण्ड के जादूगोड़ा में है |

इल्मेनाइट :- इसका भंडार केरल तथा तमिलनाडु , आंध्र प्रदेश , महाराष्ट्र , उड़ीसा में स्थित है |

बैनोडियम :-  झारखण्ड तथा उड़ीसा में मिलता है |

भारत में अभी तक 6 परमाणु विद्युत गृह स्थापित हुए हैं –

(i) तारापुर परमाणु विद्युत गृह :- यह एशिया का सबसे बड़ा विद्युत गृह है , जिसकी स्थापना 1955 में मुंबई के निकट तारापुर में हुआ था |

(ii) राणाप्रताप सागर परमाणु विद्युत गृह :- यह राजस्थान के कोटा में स्थापित है |

(iii) कलपक्कम परमाणु विद्युत गृह :- यह विद्युत् गृह तमिलनाडु में स्थित है |

(iv) नरौरा परमाणु विद्युत गृह :- यह उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के पास स्थित है |

(v) ककरापारा परमाणु विद्युत गृह :- यह गुजरात राज्य में स्थित है |

(vi) कैगा परमाणु विद्युत गृह :- यह कर्णाटक राज्य के जाग्वार जिला में स्थित है |

गैर – पारम्परिक ऊर्जा के स्रोत

सौर – ऊर्जा :- जब फोटोवोल्टाइक सेलों में विपषित सूर्य की किरणों को ऊर्जा में परिवर्तित किया

 जाता है | तो सौर ऊर्जा का उत्पादन होता है |

यह कम लागत वाला पर्यावरण के अनुकूल तथा निर्माण में आसान होने के कारण अन्य ऊर्जा के स्रोतों की अपेक्षा ज्यादा लाभदायक है |

यह एक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है |

पवन ऊर्जा :- पवन ऊर्जा पवन चक्कियों की सहायता से प्राप्त की जाती है |

पवन चक्की हवा की गति से चलती है और टरबाइन को चलाती है | इससे गति ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है |

भारत विश्व का सबसे बड़ा पवन ऊर्जा उत्पादक देश है |

गुजरात के कच्क्ष में लम्बा का पवन ऊर्जा संयंत्र एशिया का सबसे बड़ा संयंत्र है , तथा दूसरा संयंत्र तमिलनाडु के तूतीकोरिन में स्थित है |

बायो गैस :- ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि अपशिष्ट , पशुओं और मानव जनित अपशिष्ट के उपयोग से घरेलु                

    उपयोग हेतु बायो गैस उत्पन्न की  जाती है |

ज्वारीय ऊर्जा :- महासागरीय तरंगों का प्रयोग विद्युत उत्पादन के लिए किया जाता है |

भारत में खम्भात की खाड़ी , कच्क्ष की खाड़ी तथा पश्चिमी तट गुजरात में और पश्चिम बंगाल में सुन्दर वन क्षेत्र में गंगा के डेल्टा में ज्वारीय तरंगों द्वारा ऊर्जा उत्पन्न करने की आदर्श दशाएं उपस्थित है |

भूतापीय ऊर्जा :- पृथ्वी के आंतरिक भागों से ताप का प्रयोग कर उत्पन्न की जाने वाली विद्युत को

     भूतापीय ऊर्जा कहते हैं |

ऊर्जा संसाधनों का संरक्षण :

(i) ऐसे मोटर गाड़ियों का इस्तेमाल हो जो कम तेल पर ज्यादा चले |

(ii) अनावश्यक बिजली का उपयोग रोककर ऊर्जा की बचत बड़े स्तर पर कर सकते हैं |

(iii) ऊर्जा के नविन स्रोतों की खोज |

(iv) ऊर्जा के नवीन वैकल्पिक साधनों का उपयोग |

(v) विद्युत बचत करने वाले उपकरणों का प्रयोग करना चाहिए |

(vi) परम्परागत ऊर्जा के स्रोत सिमित हैं | तथा इनका प्रयोग बड़े ध्यान से करना चाहिए |

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