Class 10 Social Science Notes In Hindi | Geography Class 10 Notes | सामाजिक विज्ञान कक्षा 10 भूगोल नोट्स भारत संसाधन एवं उपयोग | Class 10 Social Science Notes In Hindi | सामाजिक विज्ञान कक्षा 10 नोट्स भारत सामाजिक विज्ञान कक्षा 10 भूगोल नोट्स भारत संसाधन एवं उपयोग | Bharat sansadhan evam upyog : भारत संसाधन एवं उपयोग ( bharat sansadhan evam upyog) Notes in hindi | 10 class भूगोल Chapter 1 संसाधन एवंउपयोग Notes In Hindi.
आज हम Bihar Board class 10th geography chapter 1 भारत : संसाधन एवं उपयोग के बारे में पढेंगे . इसमें हमने संसाधन एवं उपयोग अध्याय का सरल शब्दों में नोट्स लिखा है , 10th class Geography Notes, BSEB class 10 Sansadhan evam upyog, class 10th Geography
सामाजिक विज्ञान (SOCIAL SCIENCE)
अध्याय – 1. भारत : संसाधन एवं उपयोग
कक्षा – 10 (नोट्स)
✸संसाधन का महत्त्व :
आप अपने जीवन में अनेक वस्तुओं का उपयोग करते हैं | उपयोग में आने वाली सभी वस्तुएं संसाधन हैं | संसाधन भौतिक और जैविक दोनों हो सकते हैं | भूमि, जल एवं खनिक भौतिक संसाधन हैं जो मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति कर संसाधन बन जाते हैं | वहीँ दूसरी ओर वन्य –जीव तथा जलीय – जीव जैविक संसाधन के अंतर्गत आते हैं , वह भी मानव–जीवन के लिए उपयोगी साबित होते हैं और संसाधन बन जाते हैं |
✸संसाधन के प्रकार :
1.उत्पत्ति के आधार पर :- जैव और अजैव
2.उपयोगिता के आधार पर :- नवीकरणीय और अनवीकरणीय
3.स्वामित्व के आधार पर :- व्यक्तिगत , सामुदायिक , राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय
3.विकास की स्थिति के आधार पर :- संभाव्य , विकसित , भंडार और संचित
1. उत्पत्ति के आधार पर :
✦जैव संसाधन :
ऐसे संसाधनों की प्राप्ति जैव मंडल से होती है | इनमे सजीव के सभी लक्षण मौजूद होते हैं | जैसे मनुष्य , वनस्पति , मत्स्य , पशुधन एवं अन्य प्राणी समुदाय |
✦अजैव संसाधन :
निर्जीव वस्तुओं के समूह को अजीव संसाधन कहा जाता है | जैसे – चट्टान , धातु एवं खनिज आदि |
2. उपयोगिता के आधार पर :
✦नाविकरणीय संसाधन :
वैसे संसाधन जिन्हें भुक , रासायनिक या यांत्रिक प्रक्रिया द्वरा नवीकृत या पुनः प्राप्त किये जा सकते हैं | जैसे – सौर – उर्जा , पवन ऊर्जा , जल – विद्युत , वन एवं वन्य प्राणी |
✦अनवीकरणीय संसाधन :
ऐसे संसाधनों का विकास लम्बी अवधि में जटिल प्रक्रियाओं द्वारा होता है | इस प्रक्रिया को पूरा होने में लाखों वर्ष एजी सकते हैं | ये एक बार प्रयोग होने के बाद समाप्त हो जातें हैं | जैसे – जीवाश्म ईंधन |
3. स्वामित्व के आधार पर :
✦व्यक्तिगत संसाधन :
ऐसे संसाधन किसी ख़ास व्यक्ति के अधिकार क्षेत्र में होता है | जिसके बदले में वे सरकार को लगान भी चुकाते हैं | जैसे – भूखंड , घर व् अन्य जायदाद ; जिसपर लोगों का निजी स्वामित्व होता है | जैसे – बाग़ – बगीचा , तालाब , कुआँ आदि |
✦सामुदायिक संसाधन :
ऐसे संसाधन किसी ख़ास समुदाय के अधिपत्य में होता है , जिसका उपोग समूह के लिए सुलभ ह्होता है | जैसे – चारण – भूमि , श्मशान , मंदिर , मस्जिद , सामुदायिक भवन , तालाब , सार्वजनिक पार्क , पिकनिक स्थल , खेल मैदान , आई |
✦राष्ट्रीय संसाधन :
क़ानूनी तौर पर देश या राष्ट्र के अंतर्गत सभी उपलब्ध संसाधन राष्ट्रीय है |
✦अंतर्राष्ट्रीय संसाधन :
ऐसे संसाधनों का नियंत्रण अंतर्राष्ट्रीय संस्था करती है | तट रेखा से 200 km की दुरी छोड़कर खुले महासागरीय संसाधनों पर किसी देश का अधिकार नहीं होता है |
➤ किसी देश की तट रेखा से 200 km की दुरी तक का क्षेत्र ‘अपवर्जक आर्थिक क्षेत्र’ के नाम से जाना जाता है |
4. विकास की स्थिति के आधार पर :
✦संभावी संसाधन :
ऐसे संसाधन जिन्हें उपयोग में लाये जाने की संभावना रहती है, किन्तु तकनीक की कमी, दुर्गमक्षेत्र तथा अन्य कारणों से उनका उपयोग नहीं होता हो, संभावी संसाधन कहलाते हैं |
✦विकसित संसाधन :
जिन संसाधनों की तकनीक विकसित हो चुकी हो और जिन्हें खोजकर उनका उपयोग किया जाता हो, उन्हें विकसित संसाधन कहते है |
✦भंडार संसाधन :
जो संसाधन किसी विशेष क्षेत्र में मौजूद हो तथा मानव की आवश्कताओं की पूर्ति करने में सक्षम हो, परंतु उपयुक्त प्रौद्योगिकी के अभाव में उनका उपयोग नहीं हो रहा हो, उन्हें भंडार संसाधन कहते हैं |
✦संचित कोष संसाधन :
वास्तव में ऐसे संसाधन भंडार संसाधन के ही अंश हैं , जिसे उपलब्ध तनिक के आधार पर प्रयोग में लाया जा सकता है | इनका तत्काल उपयोग प्रारम्भ नहीं हुआ है |
Geography Notes, BSEB class 10 Sansadhan evam upyog
✸संसाधन नियोजन :
संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग ही संसाधन नियोजन है | संसाधनों के विवेकपूर्ण दोहन हेत सर्वमान्य रणनीति तैयार करना संसाधन नियोजन की प्रथम प्राथमिकता है |
➤संसाधन – नियोजन किसी राष्ट्र के विकास के लिए आवश्यक होता है | भारत जैसे देश के लिए तो अपरिहार्य है |
➤ संसाधन एक जटिल प्रक्रिया है | इसके लिए आवश्यक क्रिया – कलाप की आवश्यकता होती है | य क्रिया – कलाप संसाधन – नियोजन के सोपान होते हैं | संसाधन – नियोजन के सोपानों को निम्न रूप में बाँटा जा सकता है –
(i) देश के विभिन्न प्रदेशों में संसाधनों की पहचान करने के लिए सर्वेक्षण कराना |
(ii) सर्वेक्षण के उपरांत , मानचित्र तैयार करना एवं संसाधनों का गुणात्मक एवं मात्रात्मक आधार पर मापन या आकलन करना |
(iii) संसाधन – विकास योजनाओं को मूर्त – रूप देने के लिए उपयुक्त प्रोधोगिकी , कौशल एवं संथागत , नियोजन की रूप रेखा तैयार करना |
(iv) राष्ट्रीय विकास योजना एवं संसाधान विकास योजना के मध्य समन्वय स्थापित करना |
✸संसाधनों का संरक्षण :
संसाधनों का नियोजन एवं विवेकपूर्ण उपयोग ही संसाधनों का संरक्षण कहलाता है | आवश्यकता से अधिक संसाधनों का उपयोग मौजूदा पर्यावरण के असंतुलन का कारण बनता है | अनवीकरणीय संसाधनों के प्रति तो और अधिक सतर्क होने की आवश्यकता है, क्योंकि इन्हें पुन: नवीकृत नहीं किया जा सकता |
➤ संसाधन संरक्षण हेतु अंतर्राष्ट्रीय स्टार पर अनेक सम्मलेन हुए है | सर्वप्रथम 1968 ई० में ‘क्लब ऑफ़ रोम’ ने इसकी वकालत की थी |
➤ पर्यावरण संरक्षण हेतु सर्वप्रथम स्टॉकहोम में विश्व शिखर सम्मलेन 1972 ई० में आयोजित हुआ था इसे सम्मलेन के पश्चात् प्रतिवर्ष 5 जून को पर्यावरण दिवस के रूप में भी मनाया जाता है |
✸ सतत विकास की अवधारणा :
सतत विकास एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें यह सुनिश्चित किया जाता है, कि वर्तमान पीढी की आवश्यकताओं को पूरा करनें के साथ– साथ भावी सन्तति की आकांक्षाओं और आवश्यकताओं की पूर्ति में कठिनाई न हो। आज सतत विकास अति आधुनिक और महत्वपूर्ण मुद्दा है। इस मुद्दे से सम्बन्धित आज विश्व में अनेक कार्यक्रम कार्यान्वित किये गये हैं।
✦सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में किये जा रहे प्रयासः
- भारत सरकार ने सतत विकास लक्ष्यों के कार्यान्वयन पर निगरानी रखने तथा इनके समन्वय की जिम्मेदारी नीति आयोग को सौंपी है जिसने सभी लक्ष्यों का अध्ययन कर उन्हें सबंधित मंत्रालयों में बाँट दिया और उनकी जवाबदेहिता सुनिश्चित कर दी।
- सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MSPI) को संबंधित राष्ट्रीय संकेतक तैयार करने का कार्य सौंपा गया।
- भारतीय संसद द्वारा ‘अध्यक्षीय शोध पहल’ (Speaker’s Research Initiative) नामक एक मंच स्थापित किया गया है जो सतत विकास लक्ष्यों से संबंधित मुद्दों पर सांसदों द्वारा इस क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ परामर्श को सुविधाजनक बनाता है।
- UNDP से संबंधित सभी कार्यक्रम सतत विकास लक्ष्यों को ध्यान में रखकर ही बनाए जाते हैं। संघीय ढाँचे में सतत विकास लक्ष्यों की संपूर्ण सफलता के लिये राज्यों की भूमिका भी महत्त्वपूर्ण है अतः सभी राज्यों से कहा गया है कि वे सतत विकास लक्ष्यों पर अपने दृष्टि-पत्र तैयार करें।
- यद्यपि सतत विकास लक्ष्यों को पाने की दिशा में भारत की रफ्तार काफी धीमी है किंतु इरादे मजबूत हैं और भारत इस दिशा में सकारात्मक प्रयास कर रहा है। फिर भी संपूर्ण विकास के हेतु लोगों की आकांक्षाएँ पूरी करने के लिये पर्यावरण को संरक्षित रखते हुए राष्ट्रीय, राज्यीय और स्थानीय तीनों स्तरों पर प्रयास किये जाने की आवश्यकता है।
✸प्रथम पृथ्वी सम्मलेन :
प्रथम पृथ्वी सम्मलेन का आयोजन 3 – 4 जून 1992 को रियो डी – जेनेरो में किया गया | जिसमे विकसित एवं विकासशील देशों के लगभग 178 प्रतिनिधियों ने भाग लिया | इस सम्मलेन में ग्लोबल – वार्मिंग , वन – संरक्षण , जैव – विविधता , कार्यक्रम 21 एवं रियो घोषणा – पत्र पर समझौता किये गए |
✦कार्यक्रम 21 (Agenda 21) :
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण और विकास (UNCED) तत्वाधान में रियो – डी जेनेरो सम्मलेन में राष्ट्राध्यक्षों द्वारा स्वीकृत 800 पृष्ठीय एक घोषणा – पत्र है जिसमे सतत विकास को प्राप्त करने के लिए 21 कार्यक्रम को स्वीकृत किया गया इस एजेंडा 21 को गठित करने हेतु सभी देशों को निर्देश दिए गए तथा इस पर होने वाले खर्च के वहन हेतु ‘विश्व पर्वारण कोष’ की स्थापना की गयी |
Sir study karna hai
Thank uuu sir
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