भूमि और मृदा संसाधन कक्षा 10 भूगोल नोट्स | Class 10 Social Science Notes In Hindi | Geography Class 10 Notes | Bhumi Aur Mirda Sansadhan Notes In Hindi

भूमि और मृदा संसाधन कक्षा 10 भूगोल नोट्स | Class 10 Social Science Notes In Hindi | Geography Class 10 Notes | Bhumi Aur Mirda Sansadhan Notes In Hindi

भूमि और मृदा संसाधन कक्षा 10 भूगोल नोट्स | Class 10 Social Science Notes In Hindi | Geography Class 10 Notes | Bhumi Aur Mirda Sansadhan Notes In Hindi| सामाजिक विज्ञान कक्षा 10 नोट्स भारत  सामाजिक विज्ञान कक्षा 10 भूगोल नोट्स भारत संसाधन एवं उपयोग | Bharat sansadhan evam upyog : भारत संसाधन एवं उपयोग ( bharat sansadhan evam upyog)  Notes in hindi | 10 class भूगोल Chapter 1 संसाधन एवंउपयोग Notes In Hindi.

आज हम Bihar Board class 10th geography chapter 1 भारत : संसाधन एवं उपयोग इकाई के खण्ड – ‘क’- भूमि और मृदा संसाधन  के बारे में पढेंगे . इसमें हमने  भूमि और मृदा संसाधन  अध्याय का सरल शब्दों में नोट्स लिखा है , 10th class Geography Notes, BSEB class 10 Sansadhan evam upyog, class 10th Geography

सामाजिक विज्ञान (SOCIAL SCIENCE)
अध्याय – 2. भूमि और मृदा संसाधन 

कक्षा – 10 (नोट्स)

✸ भूमि संसाधन :

भूमि एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है |
प्राकृतिक वनस्पति , वन्य – जीव , मानव , आर्थिक क्रियाएं परिवहन और संचार व्यवस्था भूमि पर ही आधारित है |
भूमि एक सिमित संसाधन है इसलिए हमें इसका उपयोग सावधानी एवं योजनाबद्ध तरीके से करना चाहिए |
पृथ्वी के 29% भाग पर स्थल तथा 71% भाग पर जल का विस्तार है |
✸ स्थलाकृति तीन प्रकार की होती है :-
   (i) पर्वत (Mountains)
   (ii) पठार (Plateaus)   
   (ii) मैदान (Plains)
✸ भारत में स्थलाकृति का वितरण :
(i) पर्वत -30%
(ii) पठार – 27%      
(ii) मैदान – 43%
✸उपयोग के आधार पर भूमि तीनप्रकार की होती है :-
   (i) उर्वर भूमि
   (ii) अनुर्वर / बंजर / व्यर्थ भूमि
   (iii) परती भूमि
भूमि तथा मृदा प्राकृतिक सनाधन हैं , जो नाविकर्निय हैं |
चट्टानों के टूटने – फूटने , सड़ने – गलने अथवा भौतिक , रासायनिक तथा जैविक अवक्षयों के द्वारा मृदा का निर्माण होता है |
मृदा – निर्माण की प्रक्रिया एक धीमी एवं जटिल प्रक्रिया है |
मृदा में उपस्थित जिव – जंतुओं के सड़े – गले अवशेषों को ‘ह्यूमस’ कहा जाता है |
✸ मृदा के प्रकार :- (i) गठन (ii) स्थान
(i) गठन :-
  ● चिकनी मिट्टी
  ● बलुई मिट्टी
  ● दोमट मिट्टी
(ii) स्थान :-
  ● स्थानीय मिट्टी
  ● स्थानांतरित मिट्टी
  ● वाहित मिट्टी
  ● लोएस मिट्टी
✸भारत में 6 प्रकार की मिटटी पाई जाती है :-
   (i) जलोढ़ मिट्टी
  (ii) काली मिट्टी
  (iii) लाल एवं पीली  मिट्टी
  (iv) लैटेरईट मिट्टी
  (v) मरुस्थलीय मिट्टी
  (vi) पर्वतीय मिट्टी
✸ जलोढ़ मिट्टी :
जल के द्वारा बहाकर लाई गई मिट्टी को जलोढ़ मिट्टी कहा जाता है |
भारत में जलोढ़ मिट्टी का विस्तार सर्वाधिक है 
➣ जलोढ़ मिट्टी सर्वधिक उपजाऊ मानी जाती है |
जलोढ़ मिट्टी में जल को धारण करने की क्षमता सर्वाधिक होती है |
जलोढ़ मिट्टी धान की फसल के लिए उपयुक्त है |
➣ उत्तर बिहार में बालू प्रधान जलोढ़ मिट्टी को दियारा भूमि कहा जाता है, जो मक्का की फसल के लिए प्रसिद्ध है |
आयु के आधार पर जलोढ़ मिटटी दो प्रकार के होते हैं :-
     (i) खादर : – यह नवीन जलोढ़ मिट्टी है |
इसमें बालू के महीन कण पाए जाते हैं | 
ये काफी उपजाऊ होते हैं |
    (ii) बांगर :- प्राचीन जलोढ़ मिट्टी |
इसमें कंकड़ और बजरी की मात्रा अधिक होती है |

भूमि और मृदा संसाधन नोट्स 
✸ काली मिट्टी :
बेसाल्ट चट्टानों के टूटने से काली मिट्टी का निर्माण होता है |
➣  अल्युमिनियम ऑक्साइड की उपस्थिति के कारण इस मिट्टी का रंग काला होता है |
➣ काली मिट्टी कपास के उत्पादन के लिए उपयुक्त मानी गयी है |
➣ काली मिट्टी का स्थानीय नाम “रेगुर मिट्टी” है |
✸ लाल एवं पीली मिट्टी : 
➣ ग्रेनाइट चट्टानों के टूटने से लाल मिट्टी का निर्माण होता है |
आयरन ऑक्साइड की उपस्थिति के कारण इस मिट्टी का रंग लाल होता है |
जल के समायोजन के पश्चात् इस मिट्टी का रंग पीला हो जाता है |
भारत के पहाड़ी क्षेत्रो में लाल मिट्टी का विस्तार है | 
✸ लैटेरइट मिट्टी :
“लैटेरइट” शब्द ग्रीक भाषा के लैटर (Later) शब्द से निर्मित हुआ है , जिसका अर्थ होता है – ईंट (Brick)
उच्च तापमान एवं अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में लैटेराइट मिट्टी पाई जाती है |
लैटेराइट मिट्टी का निर्माण “निक्षालन” प्रक्रिया द्वारा होती है |
लैटेराइट मिटटी का विस्तार भारत के प्रायद्वीपीय पठारी क्षेत्रों में है |
लैटेराइट मिट्टी चाय की फसल के लिए उपयुक्त मानी जाती है |
✸ मरुस्थलीय मिट्टी :
भारत के मरुस्थलीय क्षेत्रं में मरुस्थलीय मिट्टी का विस्तार है |
भारत क राजस्थान राज्य में मरुस्थलीय मिट्टी का विस्तार सर्वाधिक है |
मरुस्थलीय मिट्टी में नमी तथा ह्यूमस का आभाव होता है |
✸ पर्वतीय मिट्टी :
भारत के पर्वतीय क्षेत्रों में पर्वतीय मिट्टी का विस्तार देखने को मिलता है |
पर्वतीय मित्तिफल तथा सब्जियों के उत्पादन के लिए उपयुक्त मानी गई है |
पर्वतीय क्षेत्रों में मृदा अपरदन की समस्या को कम करने के लिए समोच्च कृषि की जाती है |
✸समोच्च कृषि :-
पर्वतीय क्षेत्रों में जब वृताकार रूप में खेतों की जुताई कर सीढ़ीनुमा खेत बनाए जाते हैं , तो उसे समोच्च कृषि या सोपानी कृषि कहा जाता है |
उतराखंड राज्य में समोच्च कृषि प्रचलित है |
✸पट्टिका कृषि :- पवन अपरदन वाले क्षेत्रों में खेतों के बीच घास की चौड़ी पट्टियाँ क्यारी के रूप में लगाई जाती है , जिसे “पट्टिका कृषि” कहा जाता है |
✸ भू – निम्नीकरण के कारण :
● खनन
● अतिचारण
अतिसिंचाई
● उद्योगिक प्रदुषण
● वनोन्मूलन
✸ भूमि संरक्षण के उपाय :
● वानारोपन
● पशुचारण नियंत्रण
● खनन नियंत्रण
● औद्योगिक जल का परिष्करण

Bihar Board Matric Science Notes

Bihar Board Matric Science Objective

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