निर्माण उद्योग कक्षा 10 Notes | Manufacturing Industries | भूगोल नोट्स हिंदी

Textbook

NCERT & BTBC(Bihar Borad)

Class

10th

Subject

Geography (भूगोल)

Chapter

निर्माण उद्योग
Mediumहिंदी (Hindi)

निर्माण उद्योग(Manufacturing Industries)

निर्माण उद्योग :

कच्चे मालों द्वारा जीवनोपयोगी वतुएँ तैयार करना विनिर्माण उद्योग कहलाता है |

जैसे – कपास से कपड़ा, गन्ने से चीनी , लौह-अयस्क से लोहा एवं इस्पात आदि |

भारत में आधुनिक औद्योगिक  विकास का प्रारंभ मुंबई में प्रथम सूती कपड़े की मिल की स्थापना (1854) से हुआ था |

जुट का पहला कारखाना सन 1855 में कोलकाता के निकट रिशरा नामक स्थान पर लगया गया था |

उद्योग स्थापना के प्रमुख करक :

(i) भौतिक करक :- कच्चा माल (लौह-अयस्क , कपास), शक्ति के साधन (कोयला, जल विद्युत्) , जल की आपूर्ति , उपयुक्त जलवायु |

(ii) मानवीय कारक :- सस्ते श्रामिक , बाजार की उपलब्धता , परिवहन, पूँजी, सरकारी निति |

उद्योगों का वर्गीकरण का आधार :

  •          श्रम के आधार पर
  •          कच्चे माल के आधार पर
  •          स्वामित्व के आधार पर
  •          कच्चे माल के श्रोत के आधार पर

श्रम के आधार पर :

     (i) बड़े उद्योग – सूती वस्त्र , लौह-इस्पात आदि उद्योग |

          (ii) माध्यम उद्योग – साइकिल , रेडियो , टेलीवजन आदि उद्योग |

         (iii) छोटे उद्योग – आभूषण निर्माण तथा स्तशिल्प उद्योग |

कच्चे माल के आधार पर :

          (i) भारी उद्योग – लोहा एवं इस्पात उद्योग |

         (ii) हल्के उद्योग – इलेक्ट्रानिक उपकरण तथा सिलाई मशीन उद्योग |

स्वामित्व के आधार पर :

(i) सार्वजनिक उद्योग : इसमें भारी तथा आधारभूत उद्योग सम्मिलित है |

इनका संचालन सरकार स्वयं करती है |

दुर्गापुर तथा भिलाई , राउरकेला के लोहा इस्पात उद्योग |

(ii) संयुक्त अथवा सहकारी उद्योग : जब उद्योगों में दो या दो से अधिक व्यक्तियों या सहकारी समितियों का योगदान हो |

जैसे – अमूल , ऑइल इण्डिया लिमिटेड

कच्चे माल के स्रोत के आधार पर :

(i) कृषि आधारित उद्योग : सूती वस्त्र , जुट , रेशमी और ऊनि वस्त्र तथा खाद्य तेल कृषि से प्राप्त कच्चे माल पर आधारित उद्योग है |

(ii) खनिज आधारित उद्योग : ऐसे उद्योग जो अपने कच्चे माल के लिए खनिजों पर निर्भर है |

जैसे – लौह – इस्पात , सीमेंट तथा रसायन उद्योग |

सूती वस्त्र उद्योग :

सूती वस्त्र उद्योग का प्रथम सफल मिल 1854 में मुंबई में कावस जी नानाभाई डाबर द्वारा स्थापित किया गया था |

मुंबई को सूती कपड़ों की महानगरी (Cotton Polis) कहा जाता है |

प्रमुख उत्पादक क्षेत्र : 

  •  महाराष्ट्र – मुंबई , शोलापुर
  •  गुजरात – अहमदाबाद , सूरत
  •  पश्चिम बंगाल – हुगली, कोलकाता
  •  तमिलनाडु – चेन्नई , कोयमबटुर
  •  उत्तर प्रदेश – कानपुर , वाराणसी

जूट या पटसन उद्योग :

कच्चे जूट और जूट से बन सामन के उत्पादन में भारत का विश्व में पहला स्थान है |

जूट के निर्यात म भारत का बंगलादेश के बाद विश्व में दूसरा स्थान है |

भारत में जूट के 77 कारखाने हैं |

प्रमुख उत्पादक क्षेत्र : 

  •   पश्चिम बंगाल – हुगली नदी के किनारे 98 km लम्बी तथा 3km एक संकरी मेखला में स्थित है |
  •  आंध्रप्रदेश – कावेरी कृष्णा के डेल्टा में |
  •  बिहार – कटिहार , पूर्णिया |

ऊनी वस्त्र उद्योग :

भारत में अच्छे किस्म का उन उत्पादन किया जाता है |

पश्मीना ऊन बकरियों के बाल से तैयार किया जाता है |

अंगूरा ऊन खरगोश के रोएँ से प्राप्त किया जाता है |

भेड़ से भी ऊन प्राप्त किया जाता है |

प्रमुख उत्पादक क्षेत्र : 

  •  पंजाब – लुधियाना , धारीवाल
  •  महाराष्ट्र –  मुंबई
  •  उत्तर प्रदेश
  •  राजस्थान – बीकानेर , जयपुर

रेशमी वस्त्र उद्योग :

भारत में चार पराक्र के रेशम प्राप्त किये जाते है –

(i) मलवरी (ii) तसर   (iii) ईरी  (iv) मूँगा

भारत रेशम का विश्व में प्रमुख निर्यातक देश है |

प्रमुख उत्पादक क्षेत्र : 

  •          कर्णाटक – बेंगलुरु , मैसूर
  •          पश्चिम बंगाल – मुर्शिदाबाद
  •          जम्मू एवं कश्मीर – श्रीनगर

चीनी उद्योग :

भारत विश्व में चीनी उत्पादक में (गुड़एवं खांडसारी) प्रथम स्थान रखता है |

आधुनिक चीनी मिल का विकास 1903 ई० में बिहार के सारण जिले में हुआ |

प्रमुख उत्पादक क्षेत्र : 

  •          महारष्ट्र
  •          उत्तर प्रदेश
  •          आंध्रप्रदेश
  •          कर्णाटक
  •          तमिलनाडु
  •          बिहार

दक्षिण भारत की और चीनी उद्योग के स्थानांतरण के करक :

  •          उपयुक्त मिट्टी
  •          आद्र जलवायु
  •          गन्ने में अधिक जल की मात्रा
  •          सहकारी समितियां

चीनी उद्योग की समस्या :

  •          परम्परागत तकनीक
  •          विद्युत् आपूर्ति
  •          परिवहन
  •          आल्प्कालीन दशाएँ

Note : उपभोक्ता उद्योग :

वैसे उद्योग जिनके तैयार माल का उपयोग उपभोक्ता सीधे तौर पर करता है |

जैसे – कागज उद्योग , दंतमंजन, पंखा , सीमेंट उद्योग आदि |

लौह  इस्पात उद्योग :

लौह – इस्पात उद्योग एक आधारभूत उद्योग है |

आधुनिक लौह – इस्पात उद्योग का विकास 1874 ई० में पश्चिम बंगाल के कुल्टी नामक स्थान पर हुआ |

1907 ई० में साक्ची (जमशेदपुर , झारखण्ड) नामक स्थान पर टाटा आयरन एण्ड स्टील कंपनी (TISCO) की स्थापना की गई |

भारत के सार्वजनिक क्षेत्र की सभी लौह – इस्पात संयंत्रों का प्रबंध भारतीय इस्पात प्राधिकरण (SAIL) के अधीन है , जबकि (TISCO) का प्रबंध TATA STEEL करती है |

भारत के प्रमुख लौह – इस्पात उत्पादक क्षेत्र (उद्योग) :

  •          टाटा लोहा इस्पात (TISCO) – जमशेदपुर (झारखण्ड)
  •          भारतीय लोहा और इस्पात (IISCO) – बर्नपुर (पश्चिम बंगाल)
  •          विश्वेश्वरैया लोहा और इस्पात – भद्रावती (कर्णाटक)
  •          सेलम इस्पात संयत्र – विशाखापतनम (आंध्रप्रदेश)
  •          विजय नगर इस्पात संयत्र – विजय नगर ( कर्नाटक)

  विदेशी सहयोग से स्थापित लौह इस्पात उद्योग केंद्र :

  •          भिलाई लोहा एवं इस्पात संयंत्र –  रुस(भिलाई ,छत्तीसगढ़)
  •          राउरकेला इस्पात संयत्र – जर्मनी(राउरकेला , उड़ीसा)
  •          दुर्गापुर इस्पात संयंत्र – ब्रिटेन( दुर्गापुर,पश्चिम बंगाल)
  •          बोकारो इस्पात संयंत्र – रूस(बोकारो,झारखण्ड)

एल्युमिनियम उद्योग :

यह भारत  का दूसरा महत्वपूर्ण धातु उद्योग है |

यह हल्का , जंगरोधी, लचीला , ऊष्मा और विद्युत् का सुचालक होता है |

इसका प्रयोग हवाई जहाज, बर्तन , उद्योग तथा तार बनाने में किया जाता है |

प्रमुख उत्पादक क्षेत्र : 

  •          उड़ीसा
  •          छत्तीसगढ़
  •          उत्तर प्रदेश
  •          महाराष्ट्र

ताँबा प्रगालन उद्योग :

भारत में पहला ताँबा प्रगालन संयंत्र भारतीय ताँबा निगम द्वारा घाटशिल नामक स्थान पर झारखण्ड में स्थापित किया गया |

भारत की सबसे पुरानी ताँबा की खान राजस्थान के खेतड़ी नामक स्थान पर है |

ताँबा से पीतल , काँसा, जर्मन सिल्वर , रोल्डगोल्ड, अस्टधातु आदि निर्मित धातु बने जाती है |

प्रमुख उत्पादक क्षेत्र : 

  •          घाटशिल (झारखण्ड)
  •          खेतड़ी (राजस्थान)
  •          तूतीकोरिन (तमिलनाडु)

रासायनिक उद्योग :

भारत का रासायनिक उद्योग विश्व में 12वाँ एवं एशिया में तीसरा स्थान है |

इसके अंतर्गत अम्ल,उर्वरक,पेट्रोलियम आदि आते है |

रासायनिक उद्योग के वर्ग :

  •          कार्बनिक पेट्रोलियम (कृत्रिम रेशा , कृत्रिम रबड़,प्लास्टिक की वस्तुएँ आदि |
  •          अकार्बनिक अम्ल , क्षार , सोडा (साबुन , वाशिंग पाउडर) रंग आदि |

उर्वरक उद्योग :

भारत में पहला उर्वरक संयंत्र 1906 ई०में रानीपेट (तमिलनाडु) एवं वास्तविक रूप से विकसित संयंत्र 1951 ई० में सिंदरी (झारखण्ड) में हुआ |

भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा नाइट्रोजन युक्त उर्वरक का उत्पादक है |

सीमेंट उद्योग :

भारत का पहला सीमेंट उद्योग 1904 ई० में चेन्नई (तमिलनाडु) में स्थापित किया गया |

भारत विश्व का दूसरा बड़ा सीमेंट उपादक देश है |

सीमेंट के लिए प्रमुख कच्चा माल :

  •          चुना पत्थर
  •          सिलिका
  •          जिप्सम
  •          कोयला
  •          एलुमिनियम

सीमेंट के प्रमुख उत्पादक क्षेत्र :

  •          मध्य प्रदेश
  •          राजस्थान
  •          बिहार(डालमियानगर)
  •          झारखण्ड
  •          छत्तीसगढ़

तैयार माल आधारित उद्योग

रेलवे उद्योग :

विद्युत् चालित ईंजनचितरंजन (प०बंगाल) में, (लोकोमोटिव वर्क्स) में बनाये जाते हैं |

डीजल चालित ईंजन वाराणसी (DLW उत्तर प्रदेश) में बनाये जाते हैं |

एशिया का सबसे पुराना रेलवे वर्कशॉप जमालपुर (मुंगेर,बिहार) में है |

रेल पहिये कारखाना छपरा (सारण) में है |

मोटर गाड़ी उद्योग :

टाटा इंजीनियरिंग एण्ड लोकोमोटिव कम्पनी लिमिटेड (TELCO) मध्य तथा भारी क्यापरिक वाहनों के मुख्य उत्पादक है
मोटर साइकिलों का निर्माण लखनऊ , सतारा , पंकी(कानपूर) , अहमदाबाद के निकट अकुदरी तथा पिम्पर में बनाये जाते हैं |

पोत निर्माण उद्योग :

प्रमुख पोत निर्माण उद्योग –

  •          विशाखापत्तनम
  •          मझगाँव
  •          मुंबईकोच्ची
  •          कोलकाता

वायुयान उद्योग :

यह एक नया उद्योग है | यह पूरी तरह सरकार के नियंत्रण में है | इस उद्योग का पहला कारखाना हिंदुस्तान एयर क्राफ्ट लि०बंगलुरु में (1940 ई०) में लगाया गया था |

प्रमुख केंद्र –

  •          बंगलुरु
  •          कानपूर
  •          नासिक
  •          उड़ीसा
  •          आन्ध्र प्रदेश
  •          हैदराबाद

तकनिकी एवं दक्षता आधारित उद्योग

फुटलूज उद्योग :

वैसा उद्योग जो कच्चे माल की बजे कहीं भी स्वतंत्र रूप से स्थापित किया जा सकता है | फुटलूज उद्योग कहा जाता है |

जैसे – टेलीविजन , टेलीफ़ोन, कंप्यूटर , होजियरी, खिलौना उद्योग आदि |

सूचना प्रौद्योगिकी तथा इलेक्ट्रानिक उद्योग :

इस उद्योग को ज्ञान आधारित उद्योग भी कहा जाता है , क्योंकि इसमें उत्पादन के लिए विशिष्ट नए ज्ञान उच्च प्रौद्योगिकी और निरंतर शोध और अनुसंधान की आवश्यकता रहती है |

बंगलौर को इलेक्ट्रानिक उद्योग की राजधानी कहते हैं | इसे सिल्कन (Silcon city) नगर भी कहा जाता है |

सौन्दर्य प्रसाधन उद्योग :

इसके अंतर्गत साबुन , तेल , पाउडर , लिपस्टिक , नेलपॉलिश एवं क्रत्रिम ज्वेलरी आदि आते हैं |

प्रमुख केंद्र –

  •          मैसूर – चन्दन पर आधारित
  •          जौनपुर – ईत्र
  •          कन्नोज – खुशबूदार तेल
  •          मुंबई , पुणे, कोलकाता – साबुन
  •          दिल्ली , पश्चिम बंगाल – कृत्रिम ज्वेलरी

खिलौना उद्योग :

खिलौना निर्माण उद्योग भारत में काफी लोगों को रोजगार सृजन करता है |

प्रमुख केंद्र –  बनारस, कोलकाता , दिल्ली , चेन्नई , हैदराबाद , भोपाल आदि |

राष्ट्रिय अर्थव्यवस्था में उदोगों का योगदान :

किसी भी देश की आर्थिक सम्पन्नता उसके निर्माण उद्योग के विकास से मापी जाती है | इन उद्योगों ने लोगों को रोजगार प्रदान क्र कृषि पर निर्भरता को कम किया है |

निर्माण उद्योग का योगदान भारतीय अर्थव्यवस्था में 17% है

वैश्वीकरण का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव :

वैश्वीकरण का अर्थ है देश की अर्थव्यवस्था को विश्व की अर्थव्यवस्था के साथ जोड़ना (अर्थात प्रत्येक देश का अन्य देशो के साथ बिना किसी प्रतिबन्ध के पूँजी , तकनीक एवं व्यापारिक आदान – प्रादान ) ही वैश्वीकरण है |

प्रभाव  – 

  •          विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि |
  •         रोजगार सृजन के अवसर में वृद्धि |
  •          क्रय शक्ति में वृध्दि तथा रहन – सहन के स्टार में वृद्धि |
  •         लघु एवं कुटीर उद्योग में प्रतिकूल प्रभाव

उदारीकरण :

इसमें उद्योग तथा व्यपार को लालफीता शाही के अनावश्यक प्रतिबंधों से मुक्त करके अधिक प्रतियोगी बनाना |

  निजीकरण :

देश के अधिकतर उद्योगों के स्वामित्व नियंत्रण तथा प्रबंध का निजी क्षेत्र के अंतर्गत किया जाया है इसके परिणाम स्वस्थ अर्तव्यवस्था पर सरकारी एकाधिकार कम या समाप्त हो जाता है |

बहुराष्ट्रीय कम्पनी :

ऐसी कम्पनी जो किसी एक देश में स्थित मुख्यालय से अनेक देशों में उत्पादन और सेवाओं का नियंत्रण करती है |

जैसे – डाबर , कोकाकोला , सैमसंग

 

Bihar Board Matric Science Notes

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